बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 इतिहास बीए सेमेस्टर-3 इतिहाससरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 इतिहास
प्रश्न- अहिंसा और सत्याग्रह पर गाँधी जी के विचारों का मूल्याँकन कीजिए।
अथवा
सत्याग्रह के विषय में आप क्या जानते हैं?
उत्तर -
अहिंसा
गाँधी जी ने अहिंसा का सिद्धान्त बौद्ध धर्म से प्रेरित होकर लिया था। उनके अनुसार बुराई और शोषण का विरोध अहिंसात्मक होना चाहिए न कि हिंसा के प्रतिउत्तर में हिंसक तरीके से हिंसा करने से विरोधी पुनः सक्रिय हो जाता है और जन भावनाएँ उसके पक्ष में हो सकती हैं, जिससे विरोध का अर्थ व्यर्थ हो सकता है। उन्होंने जीव हत्या का भी विरोध किया, किन्तु इस शब्द का प्रयोग राजनीतिक सिद्धान्त के रूप में किया। उनके अनुसार अहिंसा शक्तिशाली का अस्त्र था न कि कमजोर का। उनके कहने का अर्थ यह था कि जो शक्तिशाली है और हिंसा कर सकता है वह अपने विरोधी से विनम्र अहिंसक आन्दोलन कर उसकी आत्मा को प्रभावित कर अपना आन्दोलन चलाए न कि हिंसा के माध्यम से।
सत्याग्रह - सत्याग्रह से तात्पर्य सत्य पर दृढ़ रहने या सत्य पर जोर देने से है। गाँधी जी के अनुसार यह आत्मा या प्रेम की शक्ति है। एक प्रकार से यह सत्य के लिए की जाने वाली तपस्या है। इसमें हिंसा का समावेश नहीं है, लेकिन इसमें सक्रिय प्रतिरोध जो प्रेम, विश्वास व बलिदान का संयुक्त बल है, शामिल है। गाँधी जी ने सत्याग्रह शब्द का पहला प्रयोग दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले भारतीयों द्वारा नस्लभेदी सरकार के विरुद्ध की जाने वाली अहिंसक सीधी कार्यवाही को अभिव्यक्त करने के लिए किया था।
गाँधी जी के विचारों का मूल्याँकन - गाँधी जी के पास संघर्ष के लिए दो विशेष हथियार थे सत्य और अहिंसा। उनके लिए अहिंसा अनिवार्यतः एक साधन था लेकिन सत्य नहीं। इसलिए उन्होंने अहिंसा को ईश्वर के रूप में कभी भी स्वीकार नहीं किया। उनके लिए सत्य अवश्य ईश्वर या साथ्य था। तात्पर्य यह है कि गाँधी जी जो भी प्राप्त करना चाहते थे उसे सदैव अहिंसा के द्वारा प्राप्त किया गया मानते थे जो सत्य के क़रीब हो। उन्होंने सत्य को केवल तभी एक साधन के रूप में प्रयुक्त किया जब उन्हें अहिंसा से भी बड़े अस्त्र की आवश्यकता हुई। लेकिन गाँधी जी ने इसे नैतिक बाध्यता के रूप में ही प्रयुक्त किया था। उनके लिए सत्याग्रह ऐसा दृष्टांत था, जहाँ उन्होंने सत्य को एक साधन के रूप में प्रयुक्त किया है। मानवता के इतिहास में इससे पहले कभी भी अहिंसा, सत्य, भाईचारा, स्नेह व न्याय जैसे मूल्यों को सामाजिक क्रिया-कलापों के सभी अनुशासनों और क्षेत्रों में उस रूप में नहीं प्रयुक्त किया गया, जिस रूप में गाँधी जी के समय में हुआ।
अहिंसा के माध्यम से असत्य पर आधारित बुराई का विरोध करना ही गाँधी जी के अनुसार सत्याग्रह है। इसका पहला प्रयोग उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के भारतीयों द्वारा सरकार के विरुद्ध किये जाने वाली अहिंसक कार्यवाही के दौरान किया था। उनके मतानुसार प्रत्येक व्यक्ति के भीतर सत्य का अंश विद्यमान है और उसे इस सत्य की अनुभूति कराई जा सकती है। कोई भी जब बुरा कार्य करता है तो भ्रमवश वह ऐसा कार्य करता है, चाहे वह सरकार ही क्यों न हो। यदि हम उसे इस बात का अहसास करा सकें तो संभव है कि वह असत्य के मार्ग से हट जायेगा। असत्य को सत्य से और बुराई को भलाई से ही जीता जा सकता है। इस धारणा के पीछे गाँधी पर बाइबिल, रूसो और टालस्टॉय का प्रभाव दिखाई पड़ता है। गाँधी जी स्वयं इस सत्य को सफलतापूर्वक जीवन भर अमल में लते रहे। उनके अनुसार हृदय परिवर्तन से ही असत्य के विरोध में सत्य का आग्रह संभव हो सकता है। यदि बुरा कर्म करने वाला किसी डर से बुरा काम छोड़ दे तो इसे सफलता नहीं माना जा सकता। इसके बजाय उसे इस बात की अनुभूति करायें कि उसका मार्ग असत्य या बुराई का है तो वह स्वतः अपना पुराना मार्ग छोड़ देगा। सत्याग्रही का यह कर्तव्य है कि प्रत्येक व्यक्ति के भीतर मौजूद सत्यानुभूति को उजागर करे। लेकिन इसके लिए सत्याग्रही के पास पर्याप्त आत्मबल और निःस्वार्थ भावना का होना आवश्यक है। इसके साथ ही सत्याग्रही को सुख का परित्याग करके तथा अनेक दुख व यातनाएं सहकर बुराई का प्रतिरोध करना पड़ सकता है और तभी वह अपने विरोधी को इस बात का अहसास करा पायेगा कि वास्तव में उसके भीतर विरोध करने की आत्मशक्ति मौजूद है और वह बुराई के समक्ष किसी भी सूरत में झुकने वाला नहीं है। सत्याग्रही को निरन्तर अहिंसक रहकर ही अपना विरोध जारी रखना चहिए। निष्क्रिय विरोध से उसे सफलता नहीं मिल सकती। सत्याग्रही को अपना उददेश्य प्राप्त करने के लिए अनेक साधनों का प्रयोग करना पड़ता है, जिनमें प्रमुख हैं- उपवास, धरना, हड़ताल, सविनय अवज्ञा, हिजरत, सामाजिक-आर्थिक बहिष्कार इत्यादि।
गाँधी जी ने इस बात का निर्देश कर रखा था कि हड़ताल के दौरान सत्याग्रही किसी अवैध साधन का प्रयोग न करें। असहयोग के अन्तर्गत वे किसी गलत कार्य में हिस्सा न लें। सविनय अवज्ञा के तहत उन कानूनों को न मानें जो नाजायज हों। उपवास सत्याग्रही के व्यक्तिगत शुद्धीकरण का साधन है, जिससे उसका आत्मबल बढ़ता है। धरना का तात्पर्य रास्ता रोकने से है, लेकिन इसका अर्थ जनजीवन अस्त-व्यस्त करने से नहीं है, बल्कि शासन का ध्यान जनता की ओर आकृष्ट कराना है। हिजरत का मतलब स्वेच्छा से स्थान त्याग करने से है। गाँधी जी ने हरिजनों को वह स्थान त्याग देने की सलाह दी थी जहाँ उन पर अत्याचार होते थे, जिससे कि उनको स्वच्छ वातावरण मिल सके। सामाजिक बहिष्कार के तहत उन लोगों से सम्पर्क तोड़ लेना चाहिए, जो असामाजिक या अभद्र व्यवहार करते हैं। आर्थिक बहिष्कार के अन्तर्गत विदेशियों को लाभ पहुँचाने वाली वस्तुओं का बहिष्कार कर देना चाहिए। गाँधी जी का यह मानना था कि देशी उद्योग-धंधों को जीवित रखने के लिए आवश्यक है कि विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया जाये और स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग किया जाये।
गाँधी जी की सत्याग्रह सम्बन्धी विचारधारा अहिंसा सिद्धान्त से पूरी तरह सम्बन्धित है। कोई भी व्यक्ति बगैर अहिंसक हुए सत्याग्रही नहीं हो सकता। यहाँ केवल किसी जीव की हत्या न करना ही अहिंसा नहीं है, बल्कि वह एक नैतिक दृष्टि है, जो प्राणी के एकत्व पर आधारित है। नैतिक बल से युक्त सत्याग्रही को यदि किसी की रक्षा के लिए अपना बलिदान भी करना पड़े तो वह पीछे नहीं हटता है। अहिंसा भारत के संदर्भ में कोई नहीं है। हमारे प्राचीन धर्मग्रंथों तथा बौद्ध व जैन धर्मों का मूल सिद्धान्त अहिंसा रहा है। गाँधी जी ने इस नैतिक सिद्धान्त को सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन का आधार बना दिया। गाँधी जी के मतानुसार विरोधी से भयभीत रहकर अहिंसक बने रहना अहिंसा नहीं, बल्कि इसे कायरता कहा जायेगा। जबकि सच्ची या सकारात्मक अहिंसा का जन्म आत्मा से होता है, जिसमें भय का कोई स्थान नहीं होता। वही सच्चा अहिंसक है जो हिंसा करने की स्थिति में होने के बावजूद ऐसा न करे। गाँधी जी के मतानुसार हमको पाप से लड़ना चाहिए न कि पापी से बड़े से बड़ा पापी भी मनुष्य ही है, उसके भीतर भी ईश्वर का अंश है। पापी का हृदय परिवर्तन कर पाने में सफल हो पाना ही, सच्चे अर्थ में अहिंसक होना है। लोगों द्वारा अपने सिद्धान्तों का विरोध करने के बावजूद वे अंग्रेजों को इस बात का अहसास कराना चाहते थे कि भारत का शोषण करके वे एक कुत्सित कार्य कर रहे हैं। गाँधी जी का अहिंसा भाव सत्य की आस्था पर आधारित रहा है। बगैर सत्य की अनुभूति के अहिंसा का सिद्धान्त व्यावहारिक नहीं कहा जा सकता। इसी प्रकार बगैर अहिंसा के मार्ग पर चले सत्य की खोज संभव नहीं है। इसलिए गाँधी जी ने अपने अनुयायियों के लिए सत्य और अहिंसा का मार्ग अपरिहार्य बना दिया था। उनके अनुसार केवल ईश्वर ही शुभ और सत्य है। ईश्वर सत्, चित् तथा आनन्द का समन्वय (सच्चिदानन्द) है। यदि कोई व्यक्ति सापेक्ष सत्य की उपासना करता है तो वह निश्चित ही ईश्वर को प्राप्त कर लेगा।
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- प्रश्न- भारत में सर्वप्रथम प्रवेश करने वाले विदेशी व्यापारी कौन थे? विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में डच शक्ति के आगमन को समझाते हुए डचों के पुर्तगालियों व अंग्रेजों से हुए संघर्षो पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में पुर्तगालियों के पतन के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- फ्रांसीसियों के भारत आगमन एवं भारत में फ्रांसीसी शक्ति के विस्तार को समझाइए।
- प्रश्न- यूरोपीय डच कम्पनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अंग्रेजों का भारत में किस प्रकार प्रवेश हुआ संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- यूरोपीय फ्रांसीसी कंपनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पुर्तगालियों की सफलता के कारण बताइये।
- प्रश्न- पुर्तगालियों के असफलता के कारण बताइये।
- प्रश्न- आंग्ल-फ्रेंच संघर्ष के विषय में बताते हुए इसके मुख्य कारणों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- "अपनी अन्तिम असफलता के बावजूद भी डूप्ले भारतीय इतिहास का एक प्रतिभावान एवं तेजस्वी व्यक्तित्व है।" क्या आप प्रो. पी. ई. राबर्ट्स के डूप्ले की उपलब्धियों के सम्बन्ध में इस कथन से सहमत हैं?
- प्रश्न- भारत में अंग्रेजों की सफलता के क्या कारण थे?.
- प्रश्न- ईस्ट इंडिया कम्पनी के अधीन भारत में हुए सामाजिक और आर्थिक अभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अंग्रेजी कम्पनी के अधीन भारत में सामाजिक एवं धार्मिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "भारत में फ्राँसीसियों की असफलता का कारण डूप्ले था।' इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में साम्राज्य स्थापित करने में अंग्रेजों की सफलता के कारण बताइये।
- प्रश्न- प्लासी के युद्ध के कारण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बक्सर के युद्ध के कारण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कर्नाटक के युद्ध अंग्रेजों और फ्रांसीसियों की सदियों से परम्परागत शत्रुता का परिणाम थे, विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- द्वितीय कर्नाटक युद्ध के कारणों और परिणामों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- उन महत्त्वपूर्ण कारणों का उल्लेख कीजिए जिनसे भारत में प्रभुत्व स्थापना के संघर्ष में फ्रांसीसियों को पराजय और अंग्रेजों को सफलता मिली।
- प्रश्न- क्लाइव की द्वितीय गवर्नरी में उसके कार्यों की समीक्षा कीजिये।
- प्रश्न- क्लाइव द्वारा बंगाल में द्वैध शासन की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- भारत में लार्ड क्लाइव के कार्यों का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
- प्रश्न- "प्रथम अफगान युद्ध भारत के इतिहास में अंग्रेजों की सबसे गम्भीर भूल थी।' समीक्षात्मक मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में आंग्ल- फ्रांसीसी संघर्ष क्या था? इसके महत्त्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- द्वैध शासन व्यवस्था के गुण एवं दोषों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध के कारणों एवं परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बंगाल के कठपुतली नवाबों के कार्यकाल पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बंगाल के द्वैध शासन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- द्वैध शासन की असफलता के क्या कारण थे?
- प्रश्न- कालकोठरी की दुर्घटना क्या थी?
- प्रश्न- नवाब सिराजुद्दौला के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में डच शक्ति के उत्थान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बक्सर का युद्ध (1764) तथा उसके महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लॉर्ड क्लाइव द्वारा किये गये सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'क्लाइव भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक था। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- इलाहाबाद की सन्धि की प्रमुख शर्तें क्या थीं?
- प्रश्न- प्लासी युद्ध के महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अलीनगर की सन्धि (सन् 1757 ई.) बताइये।
- प्रश्न- सिराजुद्दौला के विरुद्ध अंग्रेजों के मीर जाफर के साथ षड्यंत्र को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्लासी के युद्ध (सन् 1757 ई.) के परिणाम बताइये।
- प्रश्न- राबर्ट क्लाइव के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- बक्सर के युद्ध का महत्त्व बताइये।
- प्रश्न- बंगाल में द्वैध शासन का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- कालकोठरी की दुर्घटना क्या थी?
- प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के सुधारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वॉरेन हेस्टिंग्ज के अधीन विदेशी सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 1773 के रेग्युलेटिंग ऐक्ट के गुण-दोष क्या थे?
- प्रश्न- हैदर अली के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध के कारणों एवं परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वॉरेन हेस्टिंग्ज के प्रशासनिक एवं राजस्व सुधारों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के समय नन्दकुमार का क्या मामला था?
- प्रश्न- मराठों के पतन के क्या कारण थे?
- प्रश्न- पानीपत के युद्ध की प्रमुख घटनाएँ क्या थीं?
- प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के समय अवध की बेगमों का क्या मामला था?
- प्रश्न- लार्ड कॉर्नवालिस के सुधारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बंगाल की स्थायी भूमि कर व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कार्नवालिस ने वॉरेन हेस्टिंग्ज का कार्य पूर्ण किया। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- तृतीय मैसूर युद्ध के क्या कारण थे?
- प्रश्न- भूमि कर नीति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- एक साम्राज्य निर्माता के रूप में वेलेजली की भूमिका का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- टीपू और वेलेजली के मध्य चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध की कारणों सहित व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- लार्ड वेलेजली की सहायक सन्धि प्रणाली को समझाते हुए उसके गुण-दोषों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वेलेजली तथा फ्रांसीसियों के बीच सम्बन्धों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- टीपू सुल्तान की पराजय के कारण बताइए।
- प्रश्न- वेलेजली के अधीन अंग्रेजी साम्राज्य के विस्तार एवं कंपनी के प्रदेश की सीमाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- लार्ड वेलेजली के आगमन के समय भारत की राजनीतिक स्थितियाँ क्या थीं?
- प्रश्न- वेलेजली की सहायक सन्धि की शर्तें क्या थीं?
- प्रश्न- वेलेजली के अवध के साथ सम्बन्ध पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वेलेजली की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- ठगी को समाप्त करने के लिए लार्ड विलियम बैंटिक ने कहां तक सफलता प्राप्त की?
- प्रश्न- ब्रिटिश कम्पनी की भारत में आर्थिक एवं शैक्षिक नीति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लॉर्ड विलियम बेंटिक के प्रशासनिक एवं सामाजिक सुधारों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- लार्ड विलियम बैंटिक ने सती प्रथा तथा अन्य क्रूर प्रथाओं को बन्द करने की क्या नीति अपनाई? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विलियम बैंटिक के समाचार पत्रों के प्रति उदार नीति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विलियम बैंटिक के द्वारा नैतिक तथा बौद्धिक विकास के लिए किये गये शैक्षणिक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बैंटिक के वित्तीय तथा न्यायिक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- लार्ड विलियम बैंटिक के प्रशासनिक एवं न्यायिक सुधारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ब्रिटिश भारत में स्त्रियों की स्थिति का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत पर ब्रिटिश शासन के सामाजिक प्रभाव का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अंग्रेजों द्वारा पारित सामाजिक कानून पर निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- 1833 के चार्टर एक्ट पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी की 'हड़पनीति से आप क्या समझते हैं? इस नीति से ब्रिटिश साम्राज्यवाद को कैसे प्रोत्साहन मिला?
- प्रश्न- - डलहौजी के द्वारा किए गए रचनात्मक कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी द्वारा विद्युत तार एवं डाक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी द्वारा रेलवे विभाग में क्या सुधार किये गये?
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी के प्रशासनिक एवं सैनिक सुधारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत के आधुनिकीकरण में लार्ड डलहौजी का योगदान क्या था?
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी को शिक्षा सम्बन्धी सुधारों में कहां तक सफलता प्राप्त हुई? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 1853 के चार्टर एक्ट पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह का परिचय देते हुए अफगानों एवं अंग्रेजों के साथ सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अंग्रेजों और सिक्खों के प्रथम युद्ध के कारण व प्रसिद्ध घटनाओं और परिणामों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- रणजीत सिंह का डोंगरों और नेपालियों से सम्बन्ध को संक्षिप्त में समझाइये |
- प्रश्न- रणजीत सिंह के प्रशासन के अंतर्गत भूमिकर एवं न्याय प्रशासन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह ने सैनिक प्रशासन में कहाँ तक सफलता प्राप्त की? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रथम आंग्ल-सिख युद्ध का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिक्खों और अंग्रेजों के सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- हैदराबाद के एक राज्य के रूप में उदय की परिस्थितियों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- हैदराबाद अकस्मात ही विघटनकारी शक्तियों का शिकार हो गया था, विवेचनात्मक उत्तर दीजिये।
- प्रश्न- 1724-1802 तक की हैदराबाद की राजनीतिक गतिविधियों का अवलोकन कीजिये।
- प्रश्न- टीपू की शासन प्रणाली का सविस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मैसूर राज्य का विस्तृत अध्ययन कीजिए।
- प्रश्न- एंग्लो-मैसूर युद्धों का समीक्षात्मक अध्ययन कीजिये।
- प्रश्न- टीपू सुल्तान और मैसूर पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- मैसूर व इतिहास लेखन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- 18वीं सदी में, मैसूर की स्थिति से संक्षिप्त रूप से परिचित कराइये।
- प्रश्न- 1399 ईस्वी से अठारहवीं सदी के मध्य मैसूर राज्य की स्थिति से अवगत कराइये।
- प्रश्न- स्थायी बंदोबस्त से क्या आशय है? लार्ड कार्नवालिस द्वारा स्थायी बंदोबस्त लागू करने के क्या कारण थे?
- प्रश्न- ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर भिन्न-भिन्न कर प्रणाली लगाने का क्या उद्देश्य रहा?
- प्रश्न- स्थायी बंदोबस्त ने किस प्रकार जमींदारी व्यवस्था को जन्म दिया?
- प्रश्न- भारतीय पुनर्जागरण के कारणों, परिणामों एवं विशिष्टताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 19वीं शताब्दी के प्रमुख सामाजिक-धार्मिक आन्दोलनों को बताइये।
- प्रश्न- क्या राजा राममोहन राय को 'आधुनिक भारत का पिता' कहना उचित है?
- प्रश्न- भारतीय सामाजिक तथा धार्मिक पुनर्जागरण में आर्य समाज की देनों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- ब्रह्म समाज के प्रमुख सिद्धान्तों व कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के सामाजिक-धार्मिक पुनरुत्थान में स्वामी विवेकानन्द के योगदान का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- 19-20वीं सदी के जातिवाद विरोधी आंदोलनों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अहिंसा और सत्याग्रह पर गाँधी जी के विचारों का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- रामकृष्ण परमहंस पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- अछूतोद्धार हेतु भीमराव अम्बेडकर के किए गये कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक भारत में महिलाओं की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- एक शासक के रूप में अशोक के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- अस्पृश्यता से आप क्या समझते हैं? इसकी समस्याओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय पुनर्जागरण का क्या अर्थ है?
- प्रश्न- ब्रह्म समाज से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- प्रार्थना समाज ने समाज सुधार की दिशा में क्या कार्य किए?
- प्रश्न- ईश्वर चन्द्र विद्यासागर के समाज सुधार में किए गए कार्यों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आर्य समाज की मुख्य शिक्षाएँ व समाज सुधार में किए गए योगदान का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- थियोसोफिकल सोसाइटी पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- स्वामी विवेकानन्द के सामाजिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में 19वीं सदी में हुए विभिन्न सुधारवादी आन्दोलनों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
- प्रश्न- अश्पृश्यता निवारण के लिए महात्मा गाँधी की सेवाओं का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- 20वीं सदी में हुए प्रमुख सामाजिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाजवाद पर नेहरू के विचारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक काल में जाति प्रथा पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय समाज पर पड़े दो पाश्चात्य प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- नाविक विद्रोह 1946 का महत्व स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- स्वदेशी विचार के विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- होमरूल से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- साम्प्रदायिक निर्णय 1932 ई. की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- दाण्डी यात्रा का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- श्री अरविन्द घोष के जीवन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- रामकृष्ण मिशन के कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चैतन्य महाप्रभु पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- 'पुरुषार्थ आश्रमों के मनोनैतिक आधार हैं। टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- उन्नीसवीं सदीं में सामाजिक जागरण के क्या कारण थे?